यूँ पलट जाये मेरी जिंदगी तो क्या बात है ..

किताबों के पन्नो को पलट कर सोचते है
युँ पलट जाये मेरी जिंदगी तो क्या बात हैं ॥

ख्वाबों में रोज मिलते है जो
आज हकीक़त में आये नज़र तो क्या बात है ॥

कुछ मतलब के लिए आते है सभी
बिन मतलब कोई आये तो क्या बात है ॥

क़त्ल कर के तो सब ले जायेंगे दिल मेरा
कोई बातों से चुरा ले जाये तो क्या बात है ॥

जो शरीफों के शराफत में बात न हो
वो एक शराबी कह जाये तो क्या बात है ॥

अपने जिन्दा रहने तक देंगे सबको ख़ुशी
जो हमारी मौत पे भी कोई मुस्कुराये तो क्या बात है ॥


मनीष देव



जिक्र उसका आज भी, मेरे होठो पर आता क्यों है ..


जिक्र उसका आज भी, मेरे होठों पर आता क्यों हैं,
पलकों की हलचल में, अक्स उसका लहराता क्यों हैं,
बह गए कितने ही पतझड वक्त की साजिश में
पर मन उसकी आरजू से, आज भी बहल जाता क्यों है ॥

हर हिचकी पे एक ही नाम जहन को सताता क्यों है,
हर शायरी में मेरी , उसका ख्याल पिघल आता क्यों है,
मालूम है वो नहीं आएगी मनाने मुझे अब कभी
पर पहले के तरह, दिल आज भी रूठ जाता क्यों हैं ॥

उसकी कुछ पल के वफाओ में मेरा जीवन समता क्यों है,
दर्द से उम्र भर की यारी, जानबूझ कर निभाता क्यों है
कुछ तो नशा होगा इस तन्हा मुहब्बत में
उसका नाम सुन दिल आज भी झूम जाता क्यों है ॥