दीप जीवन का सजा है चाँदनी बन
ताप के अहसास को कुछ सघन होने दो।।
शब्द के संसार को अब मौन होने दो।।
अधर की मुस्कान आँखों की चमक को
सपन सा सुकुमार कोई बीज बोने दो ।।
शब्द के संसार को अब मौन होने दो।।
प्रभाती आनन्द मोती हास नूपुर
ज़िन्दगी के हार में जम के पिरोने दो ।।
शब्द के संसार को अब मौन होने दो।।
कड़कती बिजली बरसती बादरी को
शौर्य के संगान से अवसाद खोने दो ।।
शब्द के संसार को अब मौन होने दो।।
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