दूरी ज्यों ज्यों वक्त मुझसे बढ़ाता गया, रिश्ता हमारा और भी गहराता गया।।

दूरी ज्यों ज्यों वक्त मुझसे बढ़ाता गया ,
रिश्ता हमारा और भी गहराता गया ।।
उसका जुनून था, मेरी तन्हाई
और मैं हर पल मुस्कुराहट से सजाता गया ।।

चाँद के बहाने वक्त आया छत पर कितनी बार,
तृष्णा जगानी चाही धर धर विविध आकार
उसकी पिपासा थी, मेरी व्याकुलता
और मैं तन्मय बन रात रानी सम उसे महकाता गया ।।

संदेशा मेरा वक्त ने प्रिये तक न जाने दिया,
पैगाम उसका भी मेरे तक कब आने दिया
उसकी आस थी, मेरा एकाकीपन
और मैं खामोशियों को धड़कन का संगीत सुनाता गया ।।

मझधारों के बीच वक्त ने किया खड़ा,
राहों को फूलों से ज्यादा काटों से मढ़ा
उसका मद था, मेरा संघर्ष
और मैं सुधि के सुमरन में खुद को बहाता गया।।

7 टिप्‍पणियां:

MAYUR ने कहा…

कभी हमारे ब्लॉग पे आकर अपना अनुभव शेयर करें या कोई ब्लॉग सम्बन्धी तकनिकी दिक्कत हो तो पूछें
http://sarparast.blogspot.com/

MAYUR ने कहा…

आप अच्छा लिखते हैं,थोडी नियमितता लाइए ,हम सभी ऐसा पढ़ना पसंद करते हैं .

Sanjay Grover ने कहा…

Poetry is the best mean of expression

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

शब्दकार-डॉo कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

ब्लाग संसार में आपका स्वागत है। लेखन में निरंतरता बनाये रखकर हिन्दी भाषा के विकास में अपना योगदान दें।
रचनात्मक ब्लाग शब्दकार को रचना प्रेषित कर सहयोग करें।
रायटोक्रेट कुमारेन्द्र

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

wah! narayan narayan

Anita Bafna ने कहा…

hi, the conceptualisation is really good. I am happy that it is in Hindi.

I love Hindi language but unfortunately I can't type hindi.

I liked the wordings - Aksharo ko pranam.........

Goodluck dear !